America prepared for attack on Iran for 2 years | अमेरिका ने ईरान पर हमले की 2 साल तैयारी की: दूसरी दिशा में बॉम्बर तैनात कर भ्रम पैदा किया; कैसे सफल हुआ ऑपरेशन मिडनाइट हैमर

वॉशिंगटन / तेहरान / तेल अवीव6 मिनट पहले

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अमेरिका ने रविवार सुबह (भारतीय समयानुसार 4:10 बजे) ईरान के 3 परमाणु ठिकानों पर 7 B-2 बॉम्बर से हमला किया। ये ठिकाने ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान में थे। इस हमले को ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ नाम दिया गया।

इस दौरान अमेरिका ने फोर्डो और नतांज पर 30 हजार पाउंड (14 हजार किलो) के एक दर्जन से ज्यादा GBU-57 बम (बंकर बस्टर) गिराए। वहीं, इस्फहान और नतांज पर 30 टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें भी दागीं। इन्हें 400 मील दूर अमेरिकी पनडुब्बियों से लॉन्च किया गया था।

इस पूरे ऑपरेशन में कुल 75 प्रिसीसन गाइडेड वेपंस (सटीक हमला करने वाले हथियार) का इस्तेमाल किया गया। वहीं, हमले में 125 एयरक्राफ्ट ने हिस्सा लिया, जिनमें फाइटर जेट्स, रीफ्यूलिंग टैंकर और स्टेल्थ विमान शामिल थे।

न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक, इस ऑपरेशन के लिए अमेरिका की ओर से खास रणनीति बनाई गई थी। इसकी तैयारी पिछले 2 साल से की जा रही थी। अमेरिका ने हमले से पहले B-2 बॉम्बर्स को देश की पश्चिमी तरफ तैनात कर भ्रम पैदा किया और ईरान को हमले का पता नहीं लग पाया। ईरान, अमेरिका के पूर्व में स्थित है।

अमेरिकी रक्षा मंत्री ने इस पोस्टर के जरिए ऑपरेशन मिडनाइट-हैमर के बारे में बताया।

अमेरिकी रक्षा मंत्री ने इस पोस्टर के जरिए ऑपरेशन मिडनाइट-हैमर के बारे में बताया।

ऑपरेशन मिडनाइट हैमर की रणनीति

2 साल से तैयारी कर रहा था अमेरिका

रिपोर्ट में सामने आया है कि अमेरिका ने पिछले 2 सालों से चल रही तैयारी की किसी को भी भनक नहीं लगने दी और तीनों न्यूक्लियर साइट्स के बार में जानकारी जमा की। अमेरिका अभी की ही तरह किसी मौके की तलाश में था।इजराइल-ईरान युद्ध में उसे जैसे मौका मिला उसने इन साइट्स पर हमला कर दिया।

हमले को लेकर भ्रम पैदा किया

अमेरिका ने हमले की जल्दबाजी न दिखाते हुए इस ऑपरेशन को छिपाने के लिए भ्रम पैदा किया। हमले से दो दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सार्वजनिक रूप से कहा कि वह दो हफ्तों में युद्ध को लेकर कोई निर्णय लेंगे।

वहीं, कुछ B-2 बॉम्बर्स को जानबूझकर अमेरिका की पश्चिमी तरफ भेजा गया, ताकि ये एक सैन्य अभ्यास लगे और मौका मिलने पर असली हमला ईस्ट की ओर ईरान में किया जा सके। दरअसल, कुछ बॉम्बर को प्रशांत महासागर में तैनात किया गया, ताकि ईरान को लगे कि हमला प्रशांत महासागर की तरफ से होगा, जबकि असली हमला व्हाइट-मैन एयरफोर्स बेस (मिसौरी) से किया गया।

बिना किसी रडार पर आए पहुंचा हमला

अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक ईरान की वायु सुरक्षा अमेरिका की इस चाल से अनजान रही। किसी भी रडार या मिसाइल रक्षा प्रणाली ने इन बॉम्बर्स विमान को ट्रैक नहीं किया। इस पूरे ऑपरेशन में 125 एयरक्राफ्ट शामिल थे, जिनमें फाइटर जेट्स, रिफ्यूलिंग टैंकर और स्टील्थ विमान थे।

37 घंटे उड़े B-2 बॉम्बर, बंकर बस्टर का पहली बार इस्तेमाल

हमला करने से पहले B-2 बॉम्बर विमान ने अमेरिका के मिसौरी व्हाइट-मैन एयरफोर्स बेस से भारतीय समयानुसार 20 जून को दोपहर करीब 3 बजकर 30 मिनट पर टेकऑफ किया था। इस विमान ने लगभग 37 घंटे तक बिना रुके उड़ान भरी और बीच हवा में कई बार फ्यूल भरा था।

B-2 बॉम्बर ने फोर्डो और नतांज साइट पर 30 हजार पाउंड (14 हजार किलो) के एक दर्जन से ज्यादा GBU-57 बम (बंकर बस्टर) गिराए। यह पहली बार था जब अमेरिका ने GBU-57 बंकर बस्टर का इस्तेमाल किया।

अमेरिका-इजराइल का तालमेल

हमले से पहले इजराइल ने नौ दिनों तक ईरान की मीलिट्री इन्फ्रास्ट्रक्चर को कमजोर किया था। वह लगातार ईरान पर हमले कर रहा था। इजराइल ने 21 जून की रात भी ईरान पर कई हमले किए। जिससे ईरान उन हमलों का जवाब देने में व्यस्त रहा और अमेरिका को हमले का समय मिल गया।

वहीं, इजराइल की ओर से ऐसा माहौल बनाया गया कि अमेरिका अभी उसके साथ खुलकर नहीं आ रहा है, इसको लेकर कई बयान भी सामने आए थे।

महिला पायलट भी बनीं मिशन का हिस्सा

अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हगसेथ ने बताया कि इस मिशन में शामिल B-2 पायलटों में एक महिला भी थीं। यह B-2 विमानों का अब तक का सबसे बड़ा और दूसरा सबसे लंबा अभियान रहा, जो सिर्फ 9/11 के बाद किए गए अभियान के बाद सबसे बड़ा था।

अब तीनों न्यूक्लियर साइट्स पर हुए नुकसान को देखें…

ईरान बोला- अमेरिका के हमले से रेडिएशन लीक नहीं हुआ

इजराइल लगातार ईरान के न्यूक्लियर साइट पर हवाई हमले कर रहा है, जिस पर इजराइल का कहना है कि वे ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकना चाहते हैं। हालांकि ईरान ने परमाणु बम बनाने से इनकार किया है।

अभी ये स्पष्ट नहीं हो पाया कि इन हमलों से ईरान को कितना नुकसान हुआ है। वहीं, ईरान की परमाणु ऊर्जा संस्था (AEOI) ने कहा है कि अमेरिका के मिसाइल हमलों के बाद भी फोर्डो, नतांज और इस्फहान में कोई रेडिएशन लीक नहीं हुआ है।

यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ईरान के परमाणु ठिकानों को तबाह करने के दावों के बाद आया है।

ईरान में अब तक 657, इजराइल में 24 की मौत

इजराइल-ईरान के बीच जारी संघर्ष का आज 10वां दिन है। अमेरिका स्थित ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स न्यूज एजेंसी के अनुसार, ईरान में 13 जून से अब तक 657 लोगों की मौत हुई है और 2000 से ज्यादा घायल हैं।

हालांकि, ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने सिर्फ 430 नागरिक के मारे जाने और 3,500 लोगों के घायल होने की पुष्टि की है। वहीं, इजराइल में 21 जून तक 24 लोग मारे गए हैं, जबकि 900 से ज्यादा घायल हुए हैं।

अमेरिका ने ईरान को पहले ही हमले की जानकारी दी थी: रिपोर्ट

अमेरिका ने ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमले की जानकारी एक दिन पहले ही दे दी थी। मीडिल ईस्ट बेस्ड न्यूज वेबसाइट अमवाज मीडिया के मुताबिक ईरान के एक सीनियर अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है कि अमेरिका ने हमले से पहले ईरान को एडवांस में नोटिस भेज दिया था।

ईरानी अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया है कि 21 जून को ट्रम्प प्रशासन ने ईरान को बताया था कि उसका मकसद ईरान के साथ युद्ध करना नहीं है और वो सिर्फ फोर्डो, नतांज और इस्फहान परमाणु सुविधाओं पर हमला करने वाला है।

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अमेरिका ने रविवार सुबह (भारतीय समयानुसार 4:10 बजे) ईरान के 3 परमाणु ठिकानों पर 7 B-2 बॉम्बर से हमला किया। ये ठिकाने ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान में हैं। ईरानी परमाणु ठिकानों पर मिसाइल गिराने के करीब 13 घंटे बाद अमेरिकी रक्षा मंत्री और जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ जनरल डैन केन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। पूरी खबर पढ़ें…

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